धनखड़ ने दी चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि
नई दिल्ली, बुधवार, 29 मई 2024। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्य तिथि पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। धनखड़ सुबह राष्ट्रीय राजधानी के चौधरी चरण सिंह के समाधि स्थल किसान घाट गये और पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। श्री धनखड़ के साथ राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष एवं चौधरी चरण सिंह के पौत्र एवं राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी भी थे। इस अवसर पर किसान घाट पर एक प्रार्थना सभा का आयोजन भी किया जिसमें कई किसान नेताओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। पूर्व प्रधानमंत्री को दूर दराज से आये लोगों ने भी पुष्प अर्पित किये।
श्रद्धांजलि के उपरांत श्री धनखड़ ने कहा कि चौधरी चरण सिंह ईमानदारी के प्रतीक थे। किसान, गरीब और गांव का उत्थान उनके दिल में रहता था। उनकी करनी और सोच में कोई फर्क नहीं था। स्वर्गीय चरण सिंह को ''भारत मां के महान सपूत'' बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब उनको भारत रत्न दिया गया तो करोड़ों लोगों ने देश-विदेश में प्रसन्नता व्यक्त की। दूरदर्शी सोच की प्रशंसा करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, ''उन महान आत्मा के प्रति सही श्रद्धांजलि वही होगी कि उन्होंने जो पाठ पढ़ाया है। राष्ट्रवाद का, नैतिकता का, ईमानदारी का, भ्रष्टाचार रहित रहने का, सबको साथ लेकर चलने का - उसे हम अपने आचरण में उतारें।
चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तरप्रदेश के मेरठ के एक किसान परिवार में जन्म हुआ था। मार्च, 2024 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान ''भारत रत्न'' से सम्मानित किया गया। वह किसान और कामगार वर्ग की दशा और दिशा बदलने का संकल्प लेकर 1929 में सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। एक ख्यातिप्राप्त कानूनविद के रुप में उन्होंने किसान हित को सर्वोपरि रखा। वर्ष 1946, 1952, 1962 और 1967 विधानसभा में उत्तर प्रदेश की छपरौली सीट से निर्वाचित हुए। इसके बाद वर्ष 1970 में उत्तर प्रदेश के पांचवें मुख्यमंत्री बने और वर्ष 1979 में भारत के पांचवें प्रधानमंत्री बने। उन्होंने भारत की प्रगति के लिए कृषि और लघु उद्योगों पर जोर दिया गया। अपना संपूर्ण जीवन ग्रामीण भारत के लिए समर्पित कर दिया।उन्होेंने प्रशासन में अक्षमता, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ठोस निर्णय लिए। उन्होंने उत्तरप्रदेश में भूमि सुधार लागू किया और किसानों को उनकी भूमि का मालिकाना हक दिलाया।
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