अदालत ने धनशोधन मामले में आरोपी को जमानत देते हुए ईडी की खिंचाई की
नई दिल्ली, सोमवार, 02 सितम्बर 2024। दिल्ली की एक अदालत ने धनशोधन मामले में एक आरोपी को जमानत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की खिंचाई की और कहा कि गिरफ्तारी की शक्ति सीधे तौर पर ‘नियंत्रण और संतुलन’ के समानुपातिक होनी चाहिए वहीं स्पष्ट नियमन भी होने चाहिए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरज मोर ने मांगेलाल सुनील अग्रवाल को जमानत देते हुए कहा कि ‘बहुत अप्रिय स्थिति’ में, पिछले जांच अधिकारी (आईओ) ने उन्हें गवाह के रूप में उद्धृत किया था जबकि अगले आईओ ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध उन्हीं साक्ष्यों के आधार पर उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला किया।
न्यायाधीश ने 31 अगस्त को पारित आदेश में कहा, ‘किसी भी जांच की पहचान उसकी निष्पक्षता है। जांच अधिकारी की व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या की निंदा की जानी चाहिए क्योंकि कथित निष्पक्ष जांच उसकी अनियंत्रित कल्पनाओं पर निर्भर हो जाएगी, जिसे गिरफ्तारी की अत्यधिक शक्ति प्रदान की गई है, जिससे किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगता है।’ अदालत ने कहा कि ‘इन परिस्थितियों में, यह स्पष्ट है कि जांच अधिकारियों में से एक गलत था/है और या तो उसने कानून से परे कारणों के आधार पर काम किया या वह मामले के तथ्यों को उचित परिप्रेक्ष्य में समझने में अक्षम रहा।’’
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘दोनों ही स्थितियां खतरनाक हैं क्योंकि इससे आरोपी बिना किसी दंड के छूट सकता है या किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर गैरकानूनी रूप से अंकुश लग सकता है जिससे उसकी स्वतंत्रता के मूल अधिकार पर हमला हो सकता है।’ न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि अदालत ने नवंबर 2022 में अग्रवाल को तलब नहीं करने का विकल्प चुना था क्योंकि उसे उनके खिलाफ रिकॉर्ड पर एकत्र सबूत उन्हें आरोपी मानने के लिए पर्याप्त नहीं लगे थे। अदालत ने कहा कि बाद में आईओ ने उसी साक्ष्य के आधार पर आवेदक को गिरफ्तार कर लिया।
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