अपरा एकादशी आज
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी मनाई जाती है. इसे अचला एकादशी भी कहा जाता है. यह एकादशी पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य को राजसूय यज्ञ, अश्वमेध यज्ञ, और तीर्थ स्नान के बराबर फल प्राप्त होता है. विशेष रूप से वो लोग जो पापों से मुक्ति और धार्मिक शुद्धता की कामना करते हैं, उनके लिए यह एकादशी बहुत प्रभावी मानी जाती है. आइए अपरा एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम जानते हैं.
तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, अपरा एकादशी तिथि 22 मई को रात 01:12 बजे से लेकर 23 मई को रात 10:29 बजे तक रहने वाली है. हालांकि अपरा एकादशी का व्रत शुक्रवार, 23 मई यानी आज रखा जाएगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.04 बजे से 04:45 बजे तक रहेगा. पूजा-पाठ के लिए यह समय बहुत शुभ रहेगा. व्रत का पारण 24 मई को सुबह 05.26 बजे से 08:11 बजे के बीच किया जा सकता है.
अपरा एकादशी व्रत की विधि
अपरा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है. पूजा के लिए एक चौकी लें. उस पर पीले रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं. फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को उस पर स्थापित करें. इस व्रत में भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है. सबसे पहले उनकी प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं या अर्पित करें. इसके बाद दीप प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु को अक्षत, पुष्प, फल, तुलसी दल, पंचमेवा, धूप और नैवेद्य अर्पित करें. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें. "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी किया जा सकता है.
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