भारत में शून्य दाखिला वाले लगभग 8,000 विद्यालयों में 20,000 शिक्षक कार्यरत हैं: मंत्रालय आंकड़ा

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नई दिल्ली, रविवार, 26 अक्टूबर 2025। देशभर में करीब 8,000 विद्यालयों में 2024-25 शैक्षणिक सत्र के दौरान कोई दाखिला नहीं हुआ और इनमें से सबसे अधिक विद्यालय पश्चिम बंगाल में और उसके बाद तेलंगाना में हैं। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़े से मिली। शून्य दाखिले वाले स्कूल में कुल 20,817 शिक्षक कार्यरत थे। पश्चिम बंगाल में ऐसे शिक्षकों की संख्या 17,965 थी और बिना दाखिले वाले स्कूल की संख्या सबसे अधिक (3,812) थी। शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, 7,993 स्कूल में कोई दाखिला नहीं हुआ जो पिछले वर्ष की 12,954 की संख्या से 5,000 से अधिक कम है। इस बीच, हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, असम, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में ऐसा कोई स्कूल नहीं था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, राज्यों को विद्यालयों में शून्य दाखिले के मुद्दे का समाधान करने की सलाह दी गई है। कुछ राज्यों ने बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों जैसे संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए कुछ विद्यालयों का विलय कर दिया है।’’ आंकड़े के अनुसार, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव तथा चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में कोई भी स्कूल शून्य दाखिले वाला नहीं था। दिल्ली में भी कोई भी स्कूल ऐसा नहीं था जहां 2024-25 में शून्य दाखिला हो।

ऐसे विद्यालयों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या तेलंगाना (2,245) में है। उसके बाद मध्य प्रदेश (463) का स्थान है। तेलंगाना में इन विद्यालयों में 1,016 शिक्षक कार्यरत थे, जबकि मध्य प्रदेश में 223 शिक्षक कार्यरत थे। उत्तर प्रदेश में ऐसे 81 स्कूल हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने घोषणा की थी कि वह राज्य भर में अपने ऐसे संबद्ध विद्यालयों की मान्यता रद्द करने की तैयारी कर रहा है, जिन्होंने पिछले तीन लगातार शैक्षणिक वर्षों से शून्य छात्र पंजीकृत दर्ज किया है।

देश भर में 33 लाख से अधिक छात्र एक लाख से अधिक एकल-शिक्षक विद्यालयों में पंजीकृत हैं, आंध्र प्रदेश में इन विद्यालयों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक और लक्षद्वीप का स्थान है। हालांकि, जब एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में छात्रों के पंजीकरण की बात आती है, तो उत्तर प्रदेश सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश का स्थान है। एकल-शिक्षक विद्यालयों की संख्या 2022-23 में 1,18,190 से 2023-24 में घटकर 1,10,971 हो गई। इसमें लगभग छह प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

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