रुपये के मूल्य में गिरावट से आम लोगों के लिए आर्थिक समस्या बढ़ रही: कांग्रेस सांसद तन्खा
नई दिल्ली, गुरुवार, 04 दिसंबर 2025। राज्यसभा में कांग्रेस सदस्य विवेक के तन्खा ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में आई तीव्र गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि घरेलू मुद्रा के कमजोर होने से आम लोगों की आर्थिक तकलीफ बढ़ी है। शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार को अबतक के सबसे निचले स्तर 90.43 प्रति डॉलर पर पहुंच गया और यह भारतीय इतिहास का रुपये का ‘सबसे कमजोर’ स्तर है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक अत्यंत सामयिक विषय पर बोल रहा हूं। भारतीय रुपये की लगातार गिरावट आम भारतीय की बढ़ती आर्थिक समस्या… की वजह है। रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले अबतक के सबसे निचले स्तर 90.43 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। यह चिंताजनक है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में रुपये ने अपनी 20 से 27 प्रतिशत तक मूल्य गंवाया है, जिसका अर्थ है कि लोगों की जेब में मौजूद रकम अब वैश्विक स्तर पर लगभग एक चौथाई कम क्रय शक्ति रखती है। तन्खा के अनुसार, इस वर्ष अकेले रुपये में पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो 2022 के बाद सबसे तेज है। इससे 2025 में यह एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारत ने एक ही महीने में 40 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार घाटा दर्ज किया है, जो दर्शाता है कि आयात, निर्यात पर कितना भारी पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि इसके साथ ही विदेशी निवेशकों ने इस वर्ष भारतीय बाजार से 17 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की है। यह कई साल की सबसे बड़ी निकासी है। इससे पूंजी उपलब्धता पर असर पड़ा है। तन्खा ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह स्थिर बना हुआ है और बाह्य उधारी भी धीमी है। यह इस बात का संकेत है कि दुनिया भारत की बाहरी स्थिरता को लेकर अधिक सतर्क हो रही है।
उन्होंने कहा कि कमजोर रुपये से आयात की लागत बढ़ती है, जिससे महंगाई बढ़ती है और इसका सबसे अधिक असर गरीब, मध्यम वर्ग और सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन, लैपटॉप और चिकित्सा उपकरणों सहित सभी वस्तुएं महंगी हो जाती हैं क्योंकि अधिकांश उत्पादों के कलपुर्जे भारत आयात करता है। ‘‘साथ ही, निर्यातकों को भी अधिक लाभ नहीं होता क्योंकि कई निर्यात क्षेत्र…जैसे वस्त्र, रसायन और इंजीनियरिंग…आयातित वस्तुओं पर निर्भर हैं।’’ कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘आम आदमी के लिए रुपये के मूल्य में गिरावट ऐसी है जैसे नियोक्ता के बताए बिना वेतन में कटौती हो गई हो।’’
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