राज्यपाल की सहमति के बगैर रिहाई के लिए नलिनी की याचिका स्वीकार किये जाने योग्य नहीं: उच्च न्यायालय

चेन्नई, शनिवार, 18 जून 2022। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राजीव गांधी हत्या कांड के सात दोषियों में शामिल नलिनी श्रीहरन को तमिलनाडु के राज्यपाल की सहमति के बगैर समय से पहले रिहा करने का आदेश देने का अनुरोध करने वाली रिट याचिका स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। यह याचिका नलिनी ने दायर की थी। वह इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रही है और वर्तमान में पैरोल पर जेल से बाहर है। अदालत ने कहा कि याचिका स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है क्योंकि एक पिछली याचिकाएं–दो रिट याचिका और एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका, सभी इसी मुद्दे पर, विभिन्न अवसरों पर खारिज कर दी गई थीं।
मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति एन माला की प्रथम पीठ ने कहा कि उन्हें रिहा करने की राज्य मंत्रिपरिषद की सिफारिश को राज्यपाल द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने की स्थिति में रिहाई का निर्देश नहीं दिया जा सकता। पीठ ने कहा कि यह घटनाक्रम रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान हुआ। ‘‘इसलिए उपरोक्त कारणों को लेकर, अदालत याचिकाकर्ता द्वारा मांगा गया निर्देश नहीं दे सकती है क्योंकि उसके पास वैसी शक्ति नहीं है जो उच्चतम न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली हुई है। ’’
पीठ ने नलिनी की याचिका खारिज करते हुए 53 पन्नों के अपने फैसले में यह कहा। पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक मंत्रिमंडल ने मामले के सभी सातों आरोपियों को सितंबर 2018 में समय से पहले रिहा करने की सिफारिश की थी और इस सिलसिले में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को एक सिफारिश भेजी थी। पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में पेरारिवलन के अलावा, मुरूगन, संतन, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन, जयकुमार और नलिनी को दोषी करार दिया गया था। पेरारिवलन को छोड़कर अन्य छह दोषी वर्तमान में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।


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