‘कोयला लेवी घोटाला’ : उच्चतम न्यायालय ने भूपेश बघेल की उपसचिव की अंतरिम जमानत बढ़ाई
नई दिल्ली, गुरुवार, 28 नवंबर 2024। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ा दी, जो कथित कोयला-लेवी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में आरोपी हैं। शीर्ष अदालत ने 25 सितंबर को उन्हें अंतरिम जमानत दी थी और कहा था कि वह पहले ही एक वर्ष और नौ महीने से अधिक समय तक हिरासत में रह चुकी हैं तथा अभी आरोप तय नहीं हुए हैं। यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। पीठ ने मामले में वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी। चौरसिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। पीठ ने कहा, ‘‘अंतरिम जमानत जारी रहेगी’’ और मामले की सुनवाई की तारीख जनवरी के अंतिम सप्ताह में तय कर दी।
शीर्ष अदालत चौरसिया की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार करने से संबंधित छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 28 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गयी थी। अपने 25 सितंबर के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह उन्हें सिर्फ इसलिए सेवा में बहाल न करे क्योंकि उन्हें मामले में अंतरिम जमानत मिल गयी है। पीठ ने कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता अगले आदेश तक निलंबित रहेंगी।’’ पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता को सुनवाई शुरू होने पर निचली अदालत के समक्ष उपस्थित रहना होगा और मामले में पूरा सहयोग करना होगा।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने उनकी जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि चौरसिया एक बहुत प्रभावशाली लोक सेवक हैं और उन्हें रिहा करने से मुकदमा प्रभावित होगा। छत्तीसगढ़ काडर की लोक सेवक चौरसिया पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यालय में उप सचिव और विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) थीं। पिछले साल 14 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने चौरसिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि वह धन शोधन के मामले में संलिप्त थीं।
न्यायालय ने कहा था कि ईडी ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए हैं कि चौरसिया धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा तीन में परिभाषित धन शोधन के अपराध में सक्रिय रूप से शामिल थीं। संघीय जांच एजेंसी ने 2022 में आरोप लगाया था कि प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य में ‘‘कोयला-लेवी घोटाला’’ को अंजाम देने के लिए एक ‘‘बड़ी साजिश’’ रची गई थी, जिसमें पिछले दो वर्षों में कुल 540 करोड़ रुपये की ‘‘जबरन वसूली’’ की गई थी। धन शोधन का यह मामला आयकर विभाग द्वारा दर्ज की गई शिकायत से जुड़ा है। ईडी ने दावा किया था कि उसकी जांच ‘‘एक बड़े घोटाले से संबंधित है, जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों की मिलीभगत से छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन पर प्रति टन 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी’’।
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