झारखंड: बातचीत के आश्वासन के बाद कुड़मी आंदोलनकारियों ने सभी रेलवे स्टेशनों से नाकेबंदी हटाई

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रांची, रविवार, 21 सितंबर 2025। झारखंड में अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने और अपनी कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे कुड़मी समुदाय के लोगों ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक का आश्वासन मिलने के बाद सभी स्टेशनों से अपना आंदोलन वापस ले लिया। कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शनिवार देर रात दो स्टेशनों को छोड़कर बाकी सभी स्टेशनों से आंदोलन वापस ले लिया गया था। अब सरायकेला-खरसावां जिले के सिनी स्टेशन और धनबाद जिले के प्रधानखंता से भी रविवार सुबह करीब 10 बजे नाकेबंदी हटा ली गई।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री के कार्यालय से अमित शाह के साथ बैठक का आश्वासन मिलने के बाद हमने आंदोलन वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, अभी तारीख तय नहीं हुई है।’’ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए, हजारों प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को आदिवासी कुड़मी समाज (एकेएस) के बैनर तले रांची जिले के मुरी, राय, टाटीसिलवई स्टेशन, रामगढ़ के बरकाकाना, गिरिडीह के पारसनाथ, हजारीबाग के चरही, धनबाद के प्रधानखंता हंता, पूर्वी सिंहभूम के गालूडीह और बोकारो जिले के चंद्रपुरा में विभिन्न स्टेशन पर पटरियों पर धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने कुड़मी समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा और संविधान की आठवीं अनुसूची में कुड़माली भाषा को शामिल करने की मांग की।

एक अधिकारी ने बताया कि आंदोलन के कारण शनिवार को दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के रांची डिवीजन और ईसीआर के धनबाद डिवीजन के अधिकार क्षेत्र में 100 से अधिक यात्री ट्रेनों को रद्द, परिवर्तित और कम समय के लिए रोक दिया गया। हालांकि, विभिन्न आदिवासी संगठनों ने कुड़मी समुदाय के सदस्यों द्वारा किए जा रहे आंदोलन का विरोध किया। इन संगठनों ने शनिवार को रांची में राजभवन के पास भी प्रदर्शन किया। आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने दावा किया, ‘‘कुड़मी समुदाय का विरोध प्रदर्शन गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक था। वे (कुड़मी) वास्तविक अनुसूचित जनजातियों के अधिकार छीनना चाहते हैं।’’

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