सात राज्यों ने जन विश्वास कानून की तर्ज पर अपने कानून बनाए

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नई दिल्ली, शुक्रवार, 21 नवंबर 2025। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के शासन वाले सात राज्य जन विश्वास अधिनियम की तरह सुधारों पर जोर दे रहे हैं। यह कानून जेल की सजा की जगह जुर्माने का प्रावधान करके छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है, ताकि निवेश का माहौल अधिक भरोसेमंद और व्यापार हितैषी हो। अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि इस साल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश समेत सात राज्यों ने जन विश्वास अधिनियम की तरह अपने कानून पारित किए या अध्यादेश जारी किए।

अधिकारियों ने कहा, ‘‘ये सुधार मिलकर विश्वास आधारित शासन की ओर एक संरचनात्मक बदलाव दर्शाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि राज्यों के संयुक्त प्रभाव से उद्यमिता को बढ़ावा मिलने, मुकदमेबाजी कम होने, विनियामक स्पष्टता मिलने और राज्य स्तर पर निवेश का माहौल अधिक भरोसेमंद और व्यापार हितैषी बनने की उम्मीद है। महाराष्ट्र ने जन विश्वास अध्यादेश, 2025 को मंजूरी दे दी है, वहीं मध्य प्रदेश में, 24 अधिनियमों की 144 धाराओं में बदलाव की कोशिशें जारी हैं।

छत्तीसगढ़ विधानसभा ने जुलाई में अपना जन विश्वास विधेयक पारित किया, जिसमें आठ कानूनों के 163 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया और जेल की सजा की जगह जुर्माने का प्रावधान किया गया। गुजरात जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक ने छह विभाग के 11 कानूनों से संबंधित 516 प्रावधान में बदलाव किया। इसी तरह हरियाणा और ओडिशा ने भी अध्यादेश जारी किए हैं। त्रिपुरा जन विश्वास अधिनियम, 2025 में 10 कानूनों की 16 धाराओं में संशोधन किया गया है।

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